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भटकती आत्मा भाग - 16

           भटकती आत्मा भाग –16

दो महीने बाद मनकू को अस्पताल से छुट्टी मिल गई | उसकी टूटी हुई हड्डियां लगभग ठीक हो गई थी। जोच करने पर पता चला कि हाथ और पत्थर की हड्डियाँ जुड़ी हुई थीं, इसलिए घर ले जाने में नुकसान नहीं हुआ था। इस बीच अस्पताल में मैगनोलिया नियमित रूप से आती रही। लेकिन पिता की शर्त के अनुसार कुछ ही घंटे में अधूरे युवाओं को मनकू के लिए बुलाया गया। मनकू इसी में खुश था। कई बार विलियम जॉनसन मैगनोलिया को अस्पताल से समय मांगा गया था, परंतु हमेशा वह कुछ भी नहीं बेच पाया था। इस बारे में जॉनसन जॉनसन साहेब से भी नहीं पूछा गया था, इस बात को वे तत्व कहते थे लेकिन कुछ बताना नहीं चाहते थे। उनका विचार मैगनोलिया स्वयं मिस्टर विल्सन जॉनसन में रुचि लेने लगेगा, और फिर दोनों की शादी कर देगी। वैकल्पिक में मैगनोलिया के प्रेम संबंध को बताएं कर कोई स्टैंड नहीं करना चाहते थे। लेकिन मैगनोलिया का दृष्टिकोण कुछ और ही था एल वह विलियम जॉनसन के मित्र भाव से तैयार था। उसने तो सोचा था कि यह कुछ दिनों के बाद स्वयं ही चला जाएगा। इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनके पिता ने शादी के लिए मिस्टर जॉनसन को अपने पास बुलाया है। अगर यह बात प्रमाणित होती तो स्वयं अपनी अलगाववादी बता सकते थे। उसे तो स्वयं जॉनसन के सिद्धांत से नफरत थी एल में उसे शामिल किया गया था अवगुण ही अवगुण नजर आता है - शराब की दुकान,जुआ खेलना,किसी भी लड़की को एक रात से ज्यादा महत्व न देना। लेकिन मैगनोलिया को उसके गुण या अवगुण से क्या लेना था। मित्रता की सीमा से आगे वह कुछ समझती ही नहीं थी। कई बार मिस्टर जॉनसन की उचक दृष्टि मैगनोलिया को छुआ गया था, इस पर मैगनोलिया नेसेस को चित्रित किया गया था। पापा से बताओ की खतरनाक डील थी, लेकिन जॉनसन परिचय रह गया था। जॉनसन के इस अभद्र व्यवहार से मैगनोलिया के दिल में उसके प्रति घृणा के भाव कूट-कूट कर भरे गए थे।
ब्रिटिश बाला होने पर भी अंग्रेजी संस्कृति से घोर घृणा थी। भारतीय संस्कृति को आदर्श आदर्श बनाया गया था, अपने-अपने गुणों के अनुरूप मनकू को अपने मन मंदिर में बसाया गया था। छल कपाट से दूर उनके मनकू वीरता में ब्रिटिश से कई गुना अधिक बलशाली और सद्गुणों का भंडार था। स्वयं मैंगनोलिया समर्पित होलाल्ड थी अपने प्रिय के प्रति, परंतु मनकू अभी तक अपनी सीमा में बंधा हुआ था | एलिंगन और जैक्सन की सीमा को मित्रतापूर्ण शारीरिक संबंध की अपवित्रता के पाक में कोई कमी नहीं थी। अगर वह ऐसा चाहती है तो मैगनोलिया को प्रशंसा ही होती है, लेकिन अपने संस्कार को, अपने प्रेम को कैसे कलुषित कर सकती थी। भारतीय युवाओं और ब्रिटिश युवाओं में यही तो अंतर होता है। मैगनोलिया इसी तो अपनी जान समर्पित करती थी, अपने देवता के प्रति। वह रूप से थोड़ा काला है,आंतरिक रूप से मोती ही श्वेत है,पवित्र है | अँग्रेज़ गोरा से ही आदर के बर्तन हो गए! नहीं ! उनका दिल तो काला ही काला होता है, उनके शरीर के ऊपर से गोरा दिखता है | भारतीय युवा पत्नी को सम्मान जैसा देता है,क्या अंग्रेजी युवा पत्नी को सम्मान मिलता है? उसके लिए तो स्त्री मैट्रिसेनिकेशन का साधन है | विवाह का अत्याधिक महत्व भारतीय समाज में है, उसका लेश मात्रा भी अंग्रेजी समाज में नहीं है। इसलिए तो भारतीय संस्कृति पाश्चात्य संस्कृति से श्रेष्ठ है। पाश्चात्य के विद्वानों में इस बात को शामिल किया गया है, माना जाता है, लेकिन निषेध में अक्षम नहीं हैं। वह स्वयं तो ब्रिटेन की संतान है, परंतु - वह कभी भी पाश्चात्य संस्कृति को अपना नहीं सका! भारतीय संस्कृति के रक्षक मनकू को या तो वह प्राप्त करके रहेगी या अपनी प्राण देवी। लेकिन किसी भी अंग्रेजी युवा से वह शादी नहीं रचेगी। यह उनकी प्रतिज्ञा है,अटल संकल्प। उनकी लेश मात्रा भी अंग्रेजी समाज में नहीं देखी गयी। इसलिए तो भारतीय संस्कृति पाश्चात्य संस्कृति से श्रेष्ठ है। पाश्चात्य के विद्वानों में इस बात को शामिल किया गया है, माना जाता है, लेकिन निषेध में अक्षम नहीं हैं। वह स्वयं तो ब्रिटेन की संतान है, परंतु - वह कभी भी पाश्चात्य संस्कृति को अपना नहीं सका! भारतीय संस्कृति के रक्षक मनकू को या तो वह प्राप्त करके रहेगी या अपनी प्राण देवी। लेकिन किसी भी अंग्रेजी युवा से वह शादी नहीं रचेगी। यह उनकी प्रतिज्ञा है,अटल संकल्प। उनकी लेश मात्रा भी अंग्रेजी समाज में नहीं देखी गयी। इसलिए तो भारतीय संस्कृति पाश्चात्य संस्कृति से श्रेष्ठ है। पाश्चात्य के विद्वानों में इस बात को शामिल किया गया है, माना जाता है, लेकिन निषेध में अक्षम नहीं हैं। वह स्वयं तो इंग्लैण्ड की सन्तान है, परन्तु - वह कभी भी पाश्चात्य संस्कृति को अपना नहीं सकती! भारतीय संस्कृति के रक्षक मनकू को या तो वह प्राप्त करके रहेगी या अपनी प्राण देवी। लेकिन किसी भी अंग्रेजी युवा से वह शादी नहीं रचेगी। यह उनकी प्रतिज्ञा है,अटल संकल्प। भारतीय संस्कृति के रक्षक मनकू को या तो वह प्राप्त करके रहेगी या अपनी प्राण देवी। लेकिन किसी भी अंग्रेजी युवा से वह शादी नहीं रचेगी। यह उनकी प्रतिज्ञा है,अटल संकल्प। भारतीय संस्कृति के रक्षक मनकू को या तो वह प्राप्त करके रहेगी या अपनी प्राण देवी। लेकिन किसी भी अंग्रेजी युवा से वह शादी नहीं रचेगी। यह उनकी प्रतिज्ञा है,अटल संकल्प।
  मैगनोलिया एक पत्रिका को हाथों में लेने के लिए न जाने क्या-क्या सोच रही थी। आईज़ मैगजीन के एक ही शब्द पर लगातार टिकी हुई थी, परंतु मन ना जाने कहां भटक रहा था। दूर से अति हुई नगाड़े की कर्कश आवाज ने उसे तंद्रा भंग कर दी। समय का ज्ञान ही नहीं रह गया उसे। जहां वह चार बजे ऑनलाइन थी पत्रिका लेकर,और अब छह बजने को आये।
उन्होंने तो एक राय के तौर पर यह भूल कर दी थी कि आज रनिया गांव में जश्न मनाया जा रहा है। मनकू स्वस्थ लौट आते हैं - इसी खुशी में सब मगन हैं। इसे भी आज मनकू ने आमंत्रित किया है। उनके बूढ़े पिता और जानकी तो दो दिन पहले ही कह रहे थे - "जरूर आना उत्सव में"। 
चार मुर्गे की बलि देने से ही खुशियाली आ जाती है। नृत्य भी बहुत सुन्दर और सरल होता है। ना तो रंग बिरंगी कीमती साड़ियां या अन्य कीमती शायरी की जरूरत और ना कोई बाहरी। फटे पुराने प्रोडक्ट्स में ही लोग दिखते हैं खुशमिजाज़। बच्चे और युवतियां-युवती ही नहीं वृद्ध और वृद्धाएं भी अपनी युवतियों की पोशाकों में ही लोक नृत्य में झूमने लगती हैं। इनमें से एक जीवन के सामने स्वर्ग का जीवन भी है।
   मैगनोलिया न जाने और क्या-क्या सोचती रहती है अगर नौकरानी चाय लेकर न पहुंच जाती है। चाय पीकर मैगनोलिया रनिया गांव जाने की तैयारी करने लगी।
  मिस्टर जॉनसन ने कई बार मैगनोलिया को अपने साथ क्लब जाने के लिए कहा था, लेकिन वह सिर दर्द का बहाना बनाकर टाल   गयी थी | अभी वह स्वतंत्र थी, क्योंकि उसके पापा भी वहां नहीं थे | रात 9 बजे से पहले आने वाले भी नहीं थे। मैगनोलिया के लिए यह अच्छा मौका था।

  क्रमशः

   निर्मला कर्ण 

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